The Kindhearted Villager Hindi Story | दयालु ग्रामीण हिंदी कहानी | The Compassionate Villager Hindi Story | जबरदस्त हिंदी कहानी | Tremendous Hindi story
एक बार एक व्यक्ति ट्रेन (Train) में सफर कर रहा था। सफर के दौरान उसे प्यास लगी और वह अगले स्टेशन (station) पर पानी की तलाश में नीचे उतर गया। उसे पानी की टंकी ढूढ़ने में थोड़ा वक़्त लग गया और इतने में ट्रेन की सिटी (whistle) सुनाई दे पड़ी। उसने ट्रेन पकड़ने की कोशिश की लेकिन ट्रेन छूट गयी।
अँधेरा होने लगा, उसने स्टेशन पर ही रात बिताने की सोची।
अगली सुबह उसने दूसरी ट्रेन के बारे में पूछ-ताछ की। लेकिन पता यह चला कि अगली ट्रेन अब दूसरे दिन आएगी।
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दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं।
अब उसने निश्चय किया एक ऐसा स्थान ढूढ़ने की जहाँ पर एक दिन बिताया जा सके। वह आस-पास के सभी लॉज (lodge) में एक ठहरने के रूम के लिए पूछा लेकिन उसे रूम नहीं मिला। अँधेरा बढ़ता जा रहा था और उसे कमरा भी नहीं मिला था।
आखिर में वह एक छोटी सी झोपड़ी पर पहुंच गया। उसने झोपड़ी (hut) के मालिक से पूछा कि क्या वह एक दिन के लिए उसके घर में रह सकता है।
मालिक (owner) आसानी से सहमत (agree) हो गया। उस दिन मालिक ने उसे भोजन दिया और उसे रहने के लिए एक कमरा दिया लेकिन उसके बदले में उसने उस व्यक्ति से कुछ भी नहीं लिया और ना ही कोई उम्मीद की।
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दयालुता वो भाषा है जिसे बहरे सुन सकते हैं और अंधे देख सकते हैं।
रात में जब घड़ी में सात बजे थे, तभी ग्रामीण (villager) को दरवाजे पर खटखटाने (knock) की आवाज सुनाई दी। ग्रामीण ने दरवाजा खोल दिया। ग्रामीण ने देखा कि भड़कीले और अमीर कपड़े पहने हुए एक आदमी ने झोपड़ी में प्रवेश किया और झोपड़ी के मालिक को अपने कर्ज (debt) का भुगतान करने की मांग की।
ग्रामीण को पता चल गया था कि झोपड़ी के मालिक को पैसों की जरूरत थी। अगली सुबह उसने कमरे के द्रोवर (drover) में एक पैसों से भरा हुआ पर्स छोड़ दिया ताकि झोपड़ी का मालिक उससे अपना कर्ज चुका सके।
जब झोपड़ी के मालिक को पर्स के बारे में पता चला, तो उसने देखा कि उस पर्स के साथ एक नोट था, जिस पर लिखा था- “आपने मेरी मदद की, लेकिन उसके बदले में मुझसे कुछ भी उम्मीद नहीं की। कल मैंने आपके और उस अजनबी के बीच बातचीत सुना और पता चला कि आपको पैसे की ज़रूरत थी। यह वही है जो आपको चाहिए “।
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मैंने ये हमेशा ये पाया है की कड़ी सजा या न्याय की तुलना में दया ज्यादा मीठे फल देती है।
शिक्षा | Moral of this Story
जब आप दूसरों की मदद करते हैं, तो उसके बदले आपको भी मदद मिलती है।
nice sir jI
GOOD JOB
Thanks Harpreet ji. 🙂
बिलकुल सत्य वचन दुसरो की मदद करने से खुद की मदद होती है। very nice story thanks for sharing
Bahut-bahut dhanyawad, @Achhipost. 🙂
bahut he badiya story hai.
Rovin ji, blog par aane wa apna vichar rakhne ke liye bahut-bahut dhanyawad!! 🙂 🙂
Mast hai
Thanks a lot, Mukesh ji. 🙂
bahut acchi kahani hai
Dhanyawad Yashdeep ji. 🙂
kafi acchi kahani thi
Sushil ji apko yah story achchhi lagi eske liye saadar aabhar!! 🙂
bahut khooooooooooooob
Thank you Naseem ji. 🙂
Thanks for sharing such nice story.
Thanks for motivating us through such type of comment Babita ji.
such a very nice article
Thanks Sanjay ji … !! 🙂