श्रीमद भगवद गीता के प्रभाव से चुड़ैल भागी । श्रीमद भगवद गीता का माहात्म्य । श्रीमद भगवद गीता की महिमा । Witch fled from the effect of Shrimad Bhagavad Gita in Hindi Story । Majesty of Shrimad Bhagavad Gita in Hindi Story । Glory of the Gita in Hindi Moral Story ।
श्रीमद भगवद गीता (Shrimad Bhagavad Gita) के अध्ययन और श्रवण (hearing) की तो बात ही क्या है, श्रीमद भगवद गीता (Shrimad Bhagavad Gita) को रखने मात्र का भी बड़ा माहात्म्य (Majestic) है! एक सिपाही (Soldier) था। वह रात के समय कहीं से अपने घर आ रहा था। रास्ते में उसने चन्द्रमा के प्रकाश में एक वृक्ष के नीचे एक सुन्दर स्त्री (Female) देखी। उसने उस स्त्री से बातचीत की तो उस स्त्री ने कहा – मैं आ जाऊँ क्या? सिपाही ने कहा – हाँ, आ जा।
आध्यात्मक जीवन भारत की प्रतिभा है।
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सिपाही के ऐसा कहने पर वह स्त्री, जो वास्तव में चुड़ैल (Witch) थी, उसके पीछे आ गयी। अब वह रोज रात में उस सिपाही के पास आती, उसके साथ सोती, उसका संग करती और सबेरे चली जाती।
मनुष्य को सिर्फ तकनीकी दक्षता नही बल्कि आत्मा की महानता प्राप्त करने की भी ज़रुरत है।
इस तरह वह उस सिपाही का शोषण करने लगी अर्थात् उसका खून चूसकर उसकी शक्ति क्षीण करने लगी। एक बार रात में वे दोनों लेट गये, पर बत्ती जलती रह गयी तो सिपाही ने उससे कहा कि तू बत्ती बन्द कर दे। उसने लेटे-लेटे ही अपना हाथ लम्बा करके बत्ती बन्द कर दी। अब सिपाही को पता लगा कि यह कोई सामान्य स्त्री नहीं है, यह तो चुड़ैल है! वह बहुत घबराया। चुड़ैल ने उसको धमकी दी कि अगर तू किसी को मेरे बारे में बतायेगा तो मैं तेरे को मार डालूँगी। इस तरह वह रोज रात में आती और सबेरे चली जाती।
सिपाही का शरीर दिन-प्रतिदिन सूखता (Drying up) जा रहा था। लोग उससे पूछते कि भैया! तुम इतने क्यों सूखते जा रहे हो? क्या बात है, बताओ तो सही! परन्तु चुड़ैल (Witch) के डर के मारे वह किसी को कुछ बताता नहीं था। एक दिन वह दुकान से दवाई लाने गया। दुकानदार ने दवाई की पुड़िया (Wraps) बाँधकर दे दी। सिपाही उस पुड़िया को जेब में डालकर घर चला आया। रात के समय जब वह चुड़ैल (Witch) आयी, तब वह दूर से ही खड़े-खड़े बोली कि तेरी जेब में जो पुड़िया है, उसको निकालकर फेंक (Throw) दे।
जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
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सिपाही को विश्वास हो गया कि इस पुड़िया में जरुर कुछ करामात है, तभी तो आज यह चुड़ैल (Witch) मेरे पास नहीं आ रही है! सिपाही ने उससे कहा कि मैं पुड़िया नहीं फेकूँगा। चुड़ैल (Witch) ने बहुत कहा, पर सिपाही ने उसकी बात मानी नहीं। जब चुड़ैल (Witch) का उस पर वश नहीं चला, तब वह चली गयी। सिपाही ने जेब में से पुड़िया को निकालकर देखा तो वह श्रीमद भगवद गीता (Shrimad Bhagavad Gita) का फटा हुआ पन्ना था! इस तरह गीता का प्रभाव देखकर वह सिपाही हर समय अपनी जेब में गीता रखने लगा। वह चुड़ैल (Witch) फिर कभी उसके पास नहीं आयी।
जो लोग अपनी सोच नहीं बदल सकते वे कुछ नहीं बदल सकते।
शिक्षा | Moral
आज की भागमभाग जिंदगी (Life) में लोग अपने धर्म-ग्रंथों (Scriptures) को कही न कही भूलते जा रहे हैं। उससे मिलने वाले लाभ (Benefit) से अनभिज्ञ (Unaware) होते जा रहे हैं। विदेशी लोग हमारे ऋषि-मुनियों (Sages) द्वारा लिखे हुए वेद-पुराणों को English (अंग्रेजी) में translate (अनुवाद) करके पढ़ रहे हैं और उसका लाभ उठा रहे हैं और हमारे यहाँ के लोग उनके कॉमिक्स (comics) को।
मैं ये नही कहता कि उनकी चीजों को मत पढ़िए मित्रों लेकिन कम से कम अपनी चीजों को तो मत भूलिये, जिसकी वजह से हम कभी “विश्व गुरु” (World Teacher) कहलाते थे। हम ऊपर से तो दिखने में भारतीय हैं but अंदर से कही ना कही अमेरिकन बनते जा रहे हैं। अमेरिकन बनना है तो उनके ज्ञान में हमे बनना चाहिए, उनकी अच्छी चीजों में हमें बनना चाहिए ना की उनके सभ्यता और संस्कारों में। क्योंकि इंसान अगर अपनी सभ्यता और संस्कारों से जाना जाये तो वो ज्यादा अच्छा है ना की दूसरों से। अगर कुछ बुरा लगा हो तो हमे अपना समझ के माफ़ कीजियेगा।
अपने बहुत ही अच्छी जानकारी शेयर करी है और आपकी साईट की थीम भी बहुत अच्छी है.
धन्यवाद मकर जी। 🙂 🙂
Thanks for sharing this interesting story. हमे पुरानी मगर आच्छी बातो को नही भूलना चाहिए ।
Well said, Babita Ji. धन्यवाद!! 🙂
Bahut hi aachi manoranjak kahani hai… Thanks for sharing such a interesting mythological story
धन्यवाद प्रमोद जी। 🙂 🙂
पहले तो यही कहूँगा की यह कहानी बड़ी दिलचस्प लगी। आपने बिलकुल सही कहा की हमें अपने धर्म ग्रंथो को लगातार पढना चाहिए और उन्हें अपने जीवन में अपना चाहिए।
धन्यवाद सुरेंद्र जी। 🙂 🙂
Jee haan bhai bahut hi badhiya article. Geeta ko padhana matalab jeevan ka sahi arth samjhna.
धन्यवाद कमलेश जी। 🙂 🙂
Nice post bro
धन्यवाद Debasish जी। 🙂 🙂
कहानी पढ़कर मुझे थोड़ा दु:ख हुआ। यदि आप जैसे पढ़े लिखे लोग भी चुडैल के अस्तित्व को मानने लगेंगे तो बेचारी अनपढ़ जनता क्या करेंगी? चुडैल और भुत-प्रेत इन सब की रचना हमारे धर्मबाज बाबाओ ने भोली -भाली जनता को इनका डर बताकर अपना उल्लु सिधा करने के लिए ही थी। यदि पढ़े-लिखे लोग भी ऐसी कहानिया प्रकाशित करेंगे तो….! मेरा कहने का तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि भगवतगिता नही पढ़नी चाहिए। या हमारे धर्मग्रंथ सिरे से गलत ही थे। लेकिन जहां तक चुडैल के अस्तित्व का प्रश्न है तो वह संभव ही नहीं है॥
ज्योति जी, इस article पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार। मैंने अपनी लाइफ में खुद भी कभी भूत-प्रेत या चुड़ैल को तो नही देखा है, परंतु हाँ शुरू से ही अपने धर्म-ग्रंथो में इनका वर्णन जरूर पढ़ा है, जैसे की – श्रीमद्भगवद गीता, रामायण और महाभारत में। जैसे की कई जगह उल्लेख है की भगवान शिव की बारात में भूत-प्रेत भी बाराती बनकर गए थे और भी बहुत जगह इनका उल्लेख हुआ है।
खैर इस कहानी के माध्यम से मैं बस ये बताना चाहता हूँ कि हमे इस आधुनिक भागम-भाग की व्यस्त जिंदगी में थोड़ा-सा अपना समय अपनी भारतीय संस्कृति की नींव धर्म-ग्रंथो पर भी जरूर देना चाहिए। ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इससे वंचित ना रह सके और उनके लिए यह आश्चर्य का विषय मात्र न बनकर रह जाये।
मेरा मानना है कि अगर हमारे एक हाथ में Laptop (computer) है तो दूसरे हाथ में हमारे सभ्यता और संस्कृति की नींव गीता (Srimad Bhagwad Geeta) भी होनी चाहिए।
आज के समय में हम कही न कही अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं जबकि विदेशो में इनके ऊपर Research हो रहे हैं और इनके वजूद को समझने की कोशिश की जा रही है।
Thank you so much for putting your view here Jyoti Ji, बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार। 🙂
आपने अब तक चुडैल को देखा नही है यह जानकर खुशी हुई। वैसे यह सच्चाई है कि आज तक किसी ने भी चुडैल को देखा नहीं है। अत: मेरी आपसे विनम्र विनंती है कि कृपया भुत प्रेत या चुडैल का अस्तित्व बताती सामग्री पोस्ट न करे। ऐसी कहानीयों से हमारा साहित्य भरा पड़ा है। टी वी पर और सिनेमा में भी इनकी भरमार है। हम उन्हें नही रोक सकते। मेरा मानना है कि हम दूसरे लोगो को ऐसी सामग्री छपने से मना नहीं कर सकते लेकिन हम खुद इसे न छापे तो इतना ही काफ़ी है।
आपको शायद लग रहा होगा कि जब हर तरफ ऐसी सामग़्री की भरमार है तो… सिर्फ़ आपके न छापने से… क्या होगा? बताउं… ऐसी एक सामग्री कम होगी बस!!!
🙂 🙂
Aap ne kon se theme use kiya hai pls tell me
विजय जी मैंने अपनी website में “unlimited.1.17” नाम की theme का use किया हुआ है। 🙂
बहुत ही बढ़िया article लिखा है आप ने keep sharing
उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद राकेश जी। 🙂
ye post aapne sachmuch me kamal ka likhe hai.bahut achha laga padhkar
बहुत बहुत धन्यवाद Ajay ji!! 🙂 🙂
बहुत ही प्रेरक प्रसंग । सत्य ही है, हमारे ग्रन्थ हमे नकारात्मक ऊर्जा से बचाते हैं ।
बिलकुल सही कहा आपने अमित जी कि हमारे ग्रन्थ हमे नकारात्मक ऊर्जा से बचाते हैं। …Thanks for putting your views here. 🙂
veru interesting and honesty story
Thanks Aqib ji. 🙂
very intesting story
Thank you 🙂
Enter Your Comment jyoti Ji kya aap har cheez jaan chuki hai.aage koi aur invention hone ki space nahi bachi.adhura gyan achha nahi.curiosity ko mat marne do.